Vodafone Idea And Bharti Airtel : देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां Vodafone Idea और Bharti Airtel ने सरकार और TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) से स्पेक्ट्रम सरेंडर से जुड़े नियमों में बदलाव की मांग की है। कंपनियों का कहना है कि मौजूदा नीतियों में कई कमियां हैं, जिनसे टेलीकॉम सेक्टर को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। दोनों कंपनियों ने TRAI को अपने सुझाव भेजे हैं, जो आने वाले समय में स्पेक्ट्रम नीलामी और टेलीकॉम नीति को प्रभावित कर सकते हैं।
Vodafone Idea Analysis
Vodafone Idea ने TRAI को भेजे अपने सुझाव में कहा है कि मौजूदा समय में स्पेक्ट्रम सरेंडर की सुविधा सिर्फ 2022 के बाद की नीलामी से खरीदे गए स्पेक्ट्रम पर लागू होती है। लेकिन इससे पहले की नीलामी में कंपनियों ने जो स्पेक्ट्रम खरीदे थे, वे भी मार्केट प्राइस पर ही खरीदे गए थे। कंपनी का तर्क है कि जब 2022 से पहले भी कीमतें बाजार द्वारा तय थीं, तो उन पर भी सरेंडर का अधिकार मिलना चाहिए। Vodafone Idea चाहती है कि TRAI सरकार को सिफारिश करे कि 2022 से पहले खरीदे गए स्पेक्ट्रम को भी सरेंडर करने की अनुमति दी जाए। यह कदम कंपनी के लिए बेहद अहम है क्योंकि वर्तमान में Vodafone Idea वित्तीय दबाव से गुजर रही है। अगर कंपनी गैर-जरूरी या निष्क्रिय स्पेक्ट्रम को सरेंडर कर सके, तो वह अपनी इंस्टॉलमेंट पेमेंट्स को कम कर सकती है, जिससे आर्थिक बोझ घटेगा।
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Bharti Airtel Analysis
दूसरी ओर, Bharti Airtel ने स्पेक्ट्रम सरेंडर की financial treatment को लेकर अपनी चिंता जताई है। वर्तमान में लागू 2022 की गाइडलाइंस के अनुसार, अगर कोई कंपनी स्पेक्ट्रम सरेंडर करती है तो आगे की किस्तें माफ हो जाती हैं, लेकिन पहले दिए गए पैसे न तो वापस मिलते हैं और न ही भविष्य की किसी पेमेंट में एडजस्ट किए जाते हैं।
Airtel का कहना है कि यह नीति उन कंपनियों के लिए अनुचित है जो upfront payment करती हैं। कंपनी के मुताबिक, इस नीति से टेलीकॉम कंपनियां पहले से भुगतान करने से हिचकती हैं क्योंकि अगर स्पेक्ट्रम बाद में अनुपयोगी हो जाए तो नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए, Bharti Airtel ने TRAI से यह मांग की है कि या तो सरेंडर किए गए स्पेक्ट्रम का प्रीपेड अमाउंट वापस किया जाए या उसे भविष्य की नीलामी या पेमेंट्स में एडजस्ट किया जाए।
Vodafone Idea And Bharti Airtel TRAI Result
TRAI के लिए यह मामला काफी संवेदनशील है क्योंकि यहां दो अलग-अलग पहलुओं को संतुलित करना होगा — एक तरफ कंपनियों की वित्तीय स्थिति को सुधारना और दूसरी तरफ सरकार के राजस्व हितों की रक्षा करना।
Vodafone Idea चाहती है कि उसे पुराने स्पेक्ट्रम सरेंडर करने का अधिकार मिले, वहीं Airtel मांग कर रही है कि पहले से दिए गए पैसे वापस मिलें या भविष्य में एडजस्ट किए जाएं। यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि सरकार पर 5G रोलआउट को तेज़ करने का दबाव है, और निष्क्रिय पड़ा स्पेक्ट्रम सार्वजनिक संसाधन की बर्बादी माना जा रहा है। अगर कंपनियों को सरेंडर की लचीलापन मिले, तो यह स्पेक्ट्रम सरकार के पास वापस आ सकता है और दोबारा नीलामी से राजस्व बढ़ सकता है।
Conclusion
टेलीकॉम सेक्टर में स्पेक्ट्रम सरेंडर का मुद्दा अब उद्योग की वित्तीय सेहत से सीधे जुड़ गया है। Vodafone Idea और Bharti Airtel की मांगें जहां कंपनियों के बोझ को कम कर सकती हैं, वहीं सरकार और TRAI के लिए यह एक कठिन नीति-निर्णय होगा। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि क्या सरकार इन मांगों को स्वीकार करती है या मौजूदा व्यवस्था में ही सुधार लाने का रास्ता चुनती है।



